नई दिल्ली : एलोपैथी दवा भ्रामक विज्ञापन मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा- हमें बताया गया है कि राज्य भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं। अगली सुनवाई 25 मार्च का होगी। इससे पहले 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाओं के अवैध विज्ञापनों पर एक्शन नहीं लेने वाले राज्यों को फटकार लगाई थी। इसमें दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश का नाम शामिल था। तब कोर्ट ने तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त 2024 को आयुष मंत्रालय की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी, जिसने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 को हटा दिया था। यह नियम आयुर्वेदिक, सिद्धा और यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है। सुप्रीम कोर्ट में 7 मई 2024 को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन केस की सुनवाई के दौरान नियम 170 का मुद्दा उठा था। दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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इसमें पतंजलि पर कोविड वैक्सीनेशन, एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार और खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा करने का आरोप है। साथ ही इसमें एलोपैथी पर हमला किया गया है और कुछ बीमारियों के इलाज का दावा किया गया है। भ्रामक विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया। अदालत ने कहा कि एक हफ्ते में जवाब दाखिल कीजिए। अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।