होलिका दहन होली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह रंगों के त्योहार से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। आमतौर पर यह पर्व हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पूजा-पाठ करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन सभी को करना चाहिए, तो आइए उनके बारे में जानते हैं।
इन्हें नहीं देखना चाहिए होलिका दहन
होलिका दहन हिंदुओं के बीच काफी महत्व रखता है, जिसके चलते इसमें हर कोई शामिल होता हैं, लेकिन इस दौरान कुछ लोगों शामिल न होने की सलाह दी जाती है। प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं, नवविवाहिता लड़कियां यानी शादी के बाद लड़की की पहली होली, छोटे बच्चों आदि को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। इसके पीछे एक बेहद ही खास वजह है।
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दरअसल, यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही होलिका दहन की अग्नि में राक्षसी होलिका का अंत हुआ था यानी उनका शरीर जल गया था। किसी प्रकार की नकारात्मकता का सामना न करना पड़े इसी वजह से नवविवाहिता और गर्भवती महिला व छोटे बच्चों को पहली होली न देखने की सलाह दी जाती है। और यह इन लोगों का नया सफर होता है। ऐसे में इन्हें होलिका दहन गलती से भी नहीं देखना चाहिए।
होलिका दहन का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल प्रात: 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 14 मार्च को 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में होलिका दहन 13 मार्च, 2025 को किया जाएगा। इसके साथ ही होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 10 बजकर 45 मिनट से 01 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।